न्याय की तलाश और एक मुस्कान ने दिया समानता और न्याय का सन्देश

न्याय की तलाश और एक मुस्कान ने दिया समानता और न्याय का सन्देश

Jul 8, 2025 - 09:30
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न्याय की तलाश और एक मुस्कान ने दिया समानता और न्याय का सन्देश


गंभीर नाटक मंचन से दर्शक हुए भावुक
गॉव के बच्चों और युवाओं की प्रतिभावों को निखा र रहा मदर सेवा संस्थान
लखनऊ l मदर सेवा संस्थान द्वारा चबूतरा थिएटर फेस्टिवल सीज़न 9 का आयोजन  सोमवार  कोटवा वार्ड न 10 निकट पूर्व कन्या विद्यालय, बक्शी का तालाब में किया गया l 20 दिवसीय कार्यशाला के अंतर्गत चबूतरा थिएटर पाठशाला रविदास पार्क, नेहरू नगर ब्रांच मे न्याय की तलाश और कोटवा वार्ड न. 10बी के टी ब्रांच के कालकारों ने एक मुस्कान का मंचन किया l नाटक  न्याय की तलाश  का लेखन व निर्देशिन मोहम्मद अमन ने और कार्यशाला निर्देशक है महेश चंद्र देवा थे l नाटक की कहानी
में न्याय की तलाश नाटक 
ये स्टोरी एक फ़ैक्ट्री के कुछ मज़दूर की कहानी है वह मज़दूर जिनका हक़ अधिकार उनसे छीने जाते हैं 
उनका शोषण होता है उनके मालिक सेठ धनराज के द्वारा अन्या किया जाता है ये सब देख कर मज़दूरों का लीडर राघव एक दिन मालिक से सैलरी को लेकर मालिक से बात करता है सभी मज़दूर के कहने पर और वो मज़दूर अपने लीडर से उम्मीद लगाए रहते हैं कि राघव भैया एक दिन सब ठीक कर देंगे लेकिन मालिक राघव के साथ बड़ा जुलम करता है और कोई भी मज़दूर उसके ख़िलाफ़ आवाज़ नहीं उठा था है लेकिन ये हिम्मत राघव दिखाता है क्योंकि उसकी पत्नी सीता को पूरा भरोसा था कि राघव एक दिन सब ठीक कर देगा राग हो एक नई रोशनी और नई ऊर्जा के साथ अपनी साथ ही नीलिमा वक़ील और सभी मज़दूरों के  समझ आता है कि अपने साथ हो रहे अन्याय के ख़िलाफ़ हमें साथ मिलकर लड़ना होगा तभी हमें इससे ज़ुल्म से आज़ादी मिलेगी l सारे मज़दूर उसके साथ रिपोर्ट लिखाते हैं ये बात कोर्ट तक जा पहुँचती है उसकी साथी नीलिमा जो एक वक़ील होती है जो मज़दूरों के अंदर हिम्मत पैदा करती है राघव और इसके साथ ही नीलिमा की बात से सभी मज़दूर  बहुत प्रभावित होते हैं और सभी मज़दूर राघव के साथ खड़े होते हैं l मामला कोर्ट में जाने के बाद से धनराज  साज़िश रच रहा है कि वो निर्दोष हैं लेकिन नीलिमा है और राघव के साथ ही सुमित व मनोज और गाँव के सभी मज़दूर नीलिमा वक़ील की बातों से प्रभावित होकर अपने अधिकार न्याय के लिए लड़ते हैं और जीते हैं ये  धनराज को सजा मिलती है और उसे एहसास होता है कि किसी का हक मारना और किसी के साथ ज़ुल्म करना बहुत बड़ा  अपराध है कहानी यही दर्शाती है कि हमारे साथ हो रहे अन्याय के ख़िलाफ़ हमें ख़ुद आवाज़ उठाना पड़ता है अपने हक़ अधिकारों के लिए लड़ना पड़ता है तभी हम जीतते  हमें न्याय मिलता है l नाटक में राघव का चरित्र अनूप जायसवाल ने राघव की पत्नी जज की भूमिका में शिखा वाल्मीकि, वकील का किरदार नीलिमा चौधरी ने तो मालिक का चरित्र लकी गौतम ने निभाया l वकील दो और मज़दूर कि भूमिका में आर्यन गौतम रहे l इसके साथ ही फैक्ट्री कर्मी में युवराज कुमार,रौनक कुमार,हर्षित चौधरी, अंश कुमार,  पलक कनौजिया, पिंकी कनौजिया, पल्लवी कनौजिया और सुमित कनौजिया मालिक का चेला और नैनसी ने पुलिस की भूमिका के साथ मज़दूर का भी चरित्र निभाया l वहीं दूसरे नाटक में एक मुस्कान का मंचन कोटवा ब्रांच के कलाकारों ने किया l किरन लता व महेश चंद्र देवा के  कार्यशाला के अंतगर्त श्रीकांत गौतम के लिखें और निर्देशित किये नाटक की कहानी में 8 वर्षीय मुस्कान अपनी दादी को उसकी माँ से बेटे होने की ज़िद के खिलाफ अपनी दादी से शर्त लगती है की बेटियां सब कुछ कर सकती है l वो जहाज भी चलाती है और मज़बूत होती है l लिंग भेद के खिलाफ वो अपने चाचा पापा सबसे बेटी बेटा एक समान की बात रखती है और लिंग जाँच न कराने की बात रखती है l अंत में दादी से वो शर्त जीत जाती है और दादी डॉ से लिंग जाँच न करने और लड़का लकड़ी एक समान है की बात डॉ को रखती है की अब तुम न मानी ज्यादा लालच किया तो तुम्हारा ये क्लिनिक पुलिस को रिपोर्ट कर बंद करवा देंगे l नाटक में लिंग समानता को ज़ोर दिया गया की लड़के लड़की में कोई भेद नहीं है l मुस्कान का चरित्र ने 8 साल की अनुष्का ने निभाया l दादी और माँ बनी थी सानिया और अंशिका, मनोज पिता का किरदार किया श्रीकांत और  राजेश चाचा का राजवीर ने निभाया l  रंजना की माँ रथ तो
पायल ने रंजना एनसीसी छात्र, 
रेचल डॉक्टर, सोनाली प्रिंसिपल 
शिवांशु ने टुन्न मुस्कान के दोस्त का
राहगीर ऋचा, साक्षी, विशाखा ने चरित्र निभाया l नाटक का शुभारम्भ मुख्य अतिथि बीकेटी के चेयरमेन गनेश कुमार रावत ने और कोटवा प्रधान एडो. रोहित कनौजिया, समाजसेवी ओपी सिन्हा ने किया l कार्यक्रम में    शहज़ाद अहमद, पूर्व ब्लाक प्रमुख, राम आधार यादव पूर्व उप ब्लॉक् प्रमुख, अरुष सिंह पूर्व चेयरमेन, पूर्व प्रधान दिलीप गुप्ता, दिलीप सिँह, पूर्व बीडीसी संतराम गौतम, सुनील यादव, सत्य प्रकाश तिवारी, संतोष भारती, संजय यादव, गया प्रसाद, आशा बहु आशा देवी,प्रमोद गुप्ता, डॉ अवधेश यादव, राम नरेश सिंह आदि पूर्व प्रधान व सदस्य मौजूद थे l नाटक का मंच संचालन महेश चन्द्र देवा ने वीडियो और फोटो अजय कुमार ने, मंच व्यवस्था पंकज कश्यप, संगीत मोहम्मद अमन और श्रीकांत गौतम, लाइट सैफ मेकअप शिखा वाल्मीकि और ह्रितिक शाक्य और मंच परे अनुराग जॉन शिवा, अंकित रहे l
नाटक में तु ज़िंदा है तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर गीत और बच्चों ने नृत्य भी किया l

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