चौधरी भूपेंद्र हुड्डा जी की भाभी इंदर सिंह हुड्डा जी की पत्नी श्रीमती रजवंती देवी को नमन

चौधरी भूपेंद्र हुड्डा जी की भाभी इंदर सिंह हुड्डा जी की पत्नी श्रीमती रजवंती देवी को नमन

Jul 3, 2025 - 10:02
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चौधरी भूपेंद्र हुड्डा जी की भाभी इंदर सिंह हुड्डा जी की पत्नी श्रीमती रजवंती देवी को नमन

आज सुबह Col OP सिन्धु की अगवाई में गुड़गांव करनाल यमुनानगर पानीपत के संधू परिवार के बुजुर्गों के साथ भाइयों के साथ मित्रों के साथ रोहतक जींद हिसार की यात्रा पर रहा पहले कैप्टन अभिमन्यु की माताजी को नमन किया फिर चौधरी भूपेंद्र हुड्डा जी की भाभी इंदर सिंह हुड्डा जी की पत्नी श्रीमती रजवंती देवी को नमन किया फिर जींद में हमारे नेताजी राजवीर संधू के निवास पर जलपान ग्रहण किया उनकी 85 वर्षीय माता को सभी लोगों ने सोल उठा करके सम्मानित किया और उनका आशीर्वाद ग्रहण किया फिर हमारे संधू गोत्र का जन्मदाता दादा काला पीर की समाधि स्थल कोथ कला गांव में डेरे का निरीक्षण किया और वहां के नवनियुक्त गुरु नए पीर जताई नाथ जी को भी सोल उठा करके आशीर्वाद प्राप्त किया। उनसे उनके दर में यह डेरा बहुत बड़ा डेरा है ढाई सौ एकड़ जमीन की दर के पास है अस्थल बोर्ड का जो डेरा है वह भी इसी अधीन के अंदर आता है 700 साल पुराने संत हुए दादा काला पीर उनको पानीपत के कलंदर पीर ने पीर की उपाधि दी थी उसको हरियाणा पंजाब और सभी प्रदेशों के सन्धु  बहुत सत्कार करते हैं उनको नमन करते हैं उनके याद में मेले  लगते हैं और क्योंकि दादा काला पीर संधू परिवारों का बड़ा-बडेरा है चाहे कोई संधू मुसलमान हो या संधू सरदार या संधू हिंदू सभी उसे बड़े-बड़े दादा काला पीर का बहुत सम्मान करते हैं न्यू युक्त पीर जताई नाथ जी के दर्शन की उनका आशीर्वाद लिया मैं बताना चाहता हूं कि 700 साल पहले ही इस संत का जन्म हुआ यह इतनी सादगी के प्रतीक थे एक बार गाय चराते हुए यह वहां बैठे थे सामने से पैदल का जमाना था दिल्ली से आते हुए कलंदर पीर वहां से गुजर रहे थे तो उन्होंने आकाश में गेहूं के दाने ऊछल रखे थे तो कलंदर पीर ने ऐसा दादा कला मेहर को दिखाने के लिए किया तो दादा कला मेहर उनकी ताकत को जानते थे वह दीवार पर बैठे थे उसे दीवार की फोटो भी मैं आपके पास भेज रहा हूं 700 साल पुरानी फोटो है वह उसे दीवार से कहा चल दीवार कलंदर पीर का स्वागत कर दीवार सरकी  अपनी जगह से हिल कर आगे बढ़ी तो कलंदर पीर ने कहा तुम संत पीरो के भी पीर हो इसलिए उसके बाद उनको दादा काला पीर की उपाधि मिली उनका सभी लोग दादा काला पीर और कुछ जगहों पर दादा कला मेहर कहते हैं मैं वहां की फोटो भी आपको डाल रहा हूं। इस मौके पर करनाल आप सिंधु बड़े भाई शमशेर सिंह संधू अतर सिंह संधू सरदार रमनप्रीत सिंह संधू पाल सिंह संधू गुलाब सिंह संधू रविंद्र संधू और गिल साहब ढिल्लों साहब रमेश सैनी सभी हमारे साथ गाड़ियों के काफिले में वहां पहुंचे थे । यह इतने बड़े संत थे सम्राट अकबर का जमाना था सम्राट अकबर दिल्ली से इस संत के दर्शन करने पहुंचे और वहां उनकी छतरी चढ़ाई और उनके पैर छुए ऐसा इतिहासकारों ने अपने लिखो में लिखा।

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